क्या गुलशन कुमार के दोस्त ने ही रची थी उनके कत्ल की साजिश ?

 क्या गुलशन कुमार के दोस्त ने ही रची थी उनके कत्ल की साजिश ?

कहानी शुरू होती है दिल्ली से। दिल्ली के दरियागंज में गुलशन कुमार के पिता की जूस की दुकान थी। समय बीतने के साथ उनके पिता ने एक बड़ी दुकान ली जिसमें उन्होंने टेप और कैसेट्स बेचना शुरू किया। गुलशन कुमार भी अपने पिता के साथ दुकान पर बैठा करते थे। टेप और कैसेट्स के साथ समय निकालने की वजह से उनका रुझान म्यूजिक की तरफ बढ़ा। उन्हें ख्याल आया कि क्यों ना मुंबई जाकर म्यूजिक इंडस्ट्री में सस्ते कैसेट्स का काम शुरू किया जाए।
मुंबई आकर शुरुआत उन्होंने धार्मिक गानों से की। छोटे गायकों को लेकर वे गाने व भजन रिकॉर्ड किया करते थे और बेचते थे। धीरे धीरे वे धार्मिक भजनों से हट कर कुछ दूसरे गाने भी करने लगे। बाकी कैसेट्स महंगे होने के कारण इन कैसेट्स की पॉपुलैरिटी काफी बढ़ गई। कैसेट के गानों के गायकों को लोगों ने काफी पसंद किया जो धीरे-धीरे काफी पॉपुलर हो गए। इनमें थे अनुराधा पौडवाल, सोनू निगम, कुमार सानू, मुन्ना अजीज आदि।
धीरे-धीरे गुलशन कुमार ने मुंबई में अपने पैर जमा लिए। 1995 के बाद 100% में से 70% गुलशन कुमार का मार्केट था। आधी से ज्यादा फिल्म्स के राइट्स टी सीरीज के पास थे। गुलशन कुमार गायकों के साथ म्यूजिक डायरेक्टर्स को भी मौका दिया करते थे। ऐसे ही एक म्यूजिक डायरेक्टर्स की जोड़ी थी नदीम श्रवण। आशिकी फिल्म के गाने भी नदीम श्रवण ने दिए थे जो कि काफी पॉपुलर हुए। नदीम श्रवण ने अपना एक म्यूजिक एल्बम लॉन्च किया जिसका नाम का हाई ज़िंदगी। इसमें लगभग 2 से 3 गाने खुद नदीम ने गाए थे पर वह एक अच्छे गायक नहीं थे इस वजह से उन्हें ऑडियंस का सपोर्ट नहीं मिला। एल्बम के कुछ गाने गुलशन कुमार ने प्रमोट भी किए और बाकी के गानों को उन्होंने प्रमोट करने से मना कर दिया। धीरे-धीरे गुलशन कुमार और नदीम श्रवण के बीच कड़वाहट आने लगी। अब जिन फिल्म्स में गुलशन कुमार का म्यूजिक होता उसमें म्यूजिक डायरेक्टर कोई और होता। नदीम को लगने लगा कि गुलशन कुमार उनका करियर बर्बाद करना चाहते हैं और यह विचार उन्हें गलत राह पर ले जा रहा था।
1996 में गुलशन कुमार को एक दिन अबू सलेम का फोन आया उन्हें सलेम को कुछ करोड़ रुपए किश्त देने थे। नदीम के रिश्ते भी अबू सलेम और अनीस इब्राहिम जो दाऊद इब्राहिम का भाई था के साथ थे। नदीम के कहने पर सलेम ने गुलशन कुमार को पैसों के लिए दोबारा धमकाया। गुलशन कुमार एक किश्त दे चुके थे इसलिए उन्होंने दोबारा पैसे देने से मना कर दिया।
गुलशन कुमार को जुहू के एक मंदिर से काफी लगाव था। वे जब भी मुंबई होते वहां दो वक्त जरूर जाया करते। 12 अगस्त की सुबह 10:10 पर गुलशन कुमार मंदिर जाने के लिए घर से निकलते हैं। पूजा पाठ कर 10:40 पर वे मंदिर से बाहर निकलते हैं। उनके सामने 3 लोग खड़े होते हैं। लोकल के लोगों के अनुसार उनमें से एक लंबे बाल वाला आदमी गुलशन कुमार को कहता है कि बहुत पूजा पाठ हो गई बाकी की पूजा ऊपर जाकर करना। ऐसा कहकर वह आदमी उनके सर पर गोली मार देता है। जिंदगी की चाह में लड़खड़ा कर वह किनारे की तरफ जाने की कोशिश करते हैं। फिर तीनों आदमी उन पर धड़ाधड़ गोलियों की बौछार कर देते हैं। उनके ड्राइवर के आने तक गुलशन कुमार को 16 गोलियां लग चुकी थी। वे तीनों कातिल टैक्सी में फरार हो जाते हैं।
गुलशन कुमार को अस्पताल ले जाया जाता है पर वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया जाता है। इन्वेस्टिगेशन के बाद पुलिस 16 अगस्त को दो लोगों को पकड़ती है जिनका नाम था जावेद और रफीक। उन दोनों की कहानी के अनुसार मई में अनीस इब्राहिम के ऑफिस में गुलशन कुमार की हत्या का प्लान बना था। जिसमें अबू सलेम भी शामिल था। कुछ दिन बाद तीसरे कातिल दाउद मर्चेंट को भी पुलिस पकड़ लेती है। पता चलता है कि गुलशन कुमार के कत्ल के बाद एक बहुत बड़े प्रोड्यूसर ने इन तीनों को 25 लाख रुपए दिए थे। उन्हें मिलाकर पूरे 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है।
2001 में दाऊद मर्चेंट को सेशन कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई और बाकी लोगों को बरी कर दिया। गुलशन कुमार के कत्ल के बाद नदीम लंदन भाग जाता है जहां उसकी बीवी का इलाज चल रहा था। उसने पुलिस से सपोर्ट की बात कही पर वह आज तक हिंदुस्तान लौट कर नहीं आया। उसने ब्रिटिश नागरिकता ले ली और फिर दुबई जाकर परफ्यूम का बिजनेस शुरू किया। कुछ ऑडियो और दूसरे सबूतों के आधार पर यह कहा जाता है कि लंदन में रहते नदीम को दाऊद इब्राहिम का प्रोटैक्शन था।
इस मर्डर केस की चार्जशीट पर अबू सलेम का भी नाम था पर उस पर कोई मुकदमा नहीं चला। 2005 में जब सलेम को पुर्तगाल से भारत लाया गया तो जो संधि पुर्तगाल की सरकार के साथ यहां की सरकार ने की उसमें गुलशन कुमार मर्डर केस का जिक्र भी नहीं था।
इन सब में श्रवण बेदाग था पर नदीम के भाग जाने के बाद भी कुछ फिल्मों में दोनों ने साथ काम किया।
फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत पाने के लिए ऐसे कई और क्राइम केसेस हो चुके हैं जिनका अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला।

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