गूगल देवता ने इस जनाब को बताया भारत की सबसे भद्दी भाषा, फिर मांगनी पड़ी माफी, जानिए
क्या आप जानते है कि भारत को अलग-अलग विविधताओं वाला देश क्यों माना जाता है?
अगर आप नही जानते तो इसका जवाब है देश में अलग-अलग धर्मो के लोगों का रहना,
अलग- अलग खानपान होना, एक ही देश के नागरिकों द्वारा अलग-अलग भाषाओं का प्रयोग करना।
इसीलिए भारत को भाषायी आधार पर भी विविधात्मक देश माना जाता है
क्योंकि यहां पर सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि अनेकों भाषाएं बोली जाती है।
इन भाषाओं में अधिकांश भाषाएं ऐसी भी हैं
जिन्हें अगर आप सीखने की कोशिश भी करें तो शायद आपके लिए वो सम्भव नहीं।
क्योकि इन अधिकांश भाषाओं की वर्तनी और बोल इतने कठिन होते हैं
जिन्हें एक आम व्यक्ति द्वारा बोल पाना व पढ़ पाना बिल्कुल ही नामुमकिन है।
इसी के चलते जब हाल ही में सोशल मीडिया के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म, गूगल पर देश की सबसे खराब भाषा के विषय में सर्च किया गया तो
दक्षिण भारत की, उत्तर कन्नड़ भाषा का स्थान पहले नंबर पर आया।
गूगल द्वारा इससे ये साबित हो गया कि देश की सबसे भद्दी भाषा कन्नड़ है।
लेकिन गूगल द्वारा इस सवाल का जवाब (कन्नड़) देने पर गुरुवार को कर्नाटक के लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त हुआ है।
जिसके बाद लोग गूगल के इस जवाब के बारे में सोशल मीडिया पर जगह-जगह चर्चा करने लगे।
आपको बता दें कि इसी चर्चा के दौरान ये बात पूरे देश में तेजी से फैल गयी,
जिसके बाद कन्नड़ लोगों का आक्रोश और तेज हो गया,
आक्रोश तेज होने के बाद ये बात इतनी बढ़ गयी कि राज्य सरकार को इस मामले में दखल देना पड़ा।
मामले को लेकर राज्य सरकार ने गूगल पर, राज्य की भाषा (कन्नड़) की निंदनीय और विपरीत धारणा फैलाने के आरोप लगाये हैं
और गूगल के खिलाफ कानूनी नोटिस भेजने की बात कही है।
राजनीतिक दलों ने की, गूगल की निंदा
वहीं मामले को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी गूगल के खिलाफ निंदा प्रकट की है
जिसके चलते गूगल ने “भारत की सबसे भद्दी भाषा” पूछे जाने पर जवाब में ‘कन्नड़’ हटा दिया है।
कन्नड़, संस्कृति और वन मंत्री ने जताई नाराजगी
वही इस पूरे प्रकरण नें कर्नाटक के कन्नड, संस्कृति और वन मंत्री अरविंद लिंबावली ने भी गूगल के खिलाफ ट्वीटर पर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
लिम्बावली ने अपने ट्वीट के जरिये गूगल को, कन्नड़ लोगों से माफी मांगने की बात कही है
उन्होंने कहा है कि गूगल की इस गलती के लिए उसे कानूनी नोटिस भेजा जायेगा।
लिम्बावली ने अपने ट्वीट के जरिये बताया कि कन्नड़ भाषा लगभग 2500 साल पहले अस्तित्व में आई है जिसके बाद से यह भाषा कन्नड़ लोगों में गौरव का विषय रही है।
लेकिन गूगल द्वारा इस तरह कन्नड़ भाषा का अपमान कर उसकी छवि खराब करने का प्रयास किया गया है।
जिसके चलते वन मंत्री ने गूगल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है।
गूगल के प्रवक्ता ने मांगी माफी
मामले में लगातार विवादों को बढ़ता देखकर गूगल ने भी अपनी सफाइ पेश की है गूगल का कहना है कि गूगल पर सर्च किये गए रिजल्ट हमेशा सही नहीं होते हैं,
जिसके चलते कभी-कभी स्पेसिफिक सवालों के अजीबोगरीब रिजल्ट भी स्क्रीन पर आ सकते हैं।
मामले में गूगल के प्रवक्ता ने इस गलतफहमी के लिए कन्नड़ लोगों से माफी मांगी है।